अब यह एक दस्तूर हो चका है कि हर वर्ष नवंबर के आसपास बारिश चेन्नई नगर के नागरिकों के लिए एक बड़ी चुनौती लेकर आएगी। तो इस बार भी तकरीबन हफ्ते बारिश जारी है और मेरे शहर के लोग मना रहें हैं कि कब सूर्य भगवान इन्द्र देवता को मात दे पाते हैं। ये वो शहर है जहाँ पानी की आमतौर पर किल्लत रहती है और हम सालो भर पीने का पानी खरीदते है, जरुरत पड़ने पर टैंकर से अन्य जरुरतों के लिए भी पानी खरीदा जाता है। आम चेन्नईवासी पानी को अमृत समान भाव देता है। पर, उफ, इतना बारिश, इतना पानी।क्या मानव , क्या पशु पक्षी। बड़े -बड़े वृक्ष एवं वृक्षों की शाखाएँ शहर भर में धराशाई हैं। आलम ये हैं पानी ने कई मुहल्लों को वेनिस में तब्दील कर दिया है, बस कुछ गोंडोला लाने की देर है।
जहाँ मेरा दफ्तर है, वहाँ से कुछ सो मीटर पर तीन व्यक्ति इस बारिश में अपने कार मे फँस कर गए और अपनी जान गँवा बैठे।शायद बारिश में उनकी कार के ए सी प्रणाली में कोई त्रुटि पैदा कर दिया और कार्बन मोनोक्साईड ने बन्द शीशों के बीच उन्हें नहीं बक्शा। यह दो दिन पहले हुआ।
जनता है परेशान, इन्द्र देवता अब बस भी करो!
मंगलवार, अक्तूबर 31, 2006
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3 टिप्पणियां:
राजेश जी,
गलती इंद्र देवता की नही है चेन्नई प्रसाशन की है। इस वर्ष तो बूरे हाल हैं। पानी निकासी हो ही नही रही है, जहां देखो वहां पानी जमा हो गया है।
बारीश रूकने के बाद और भी बूरे हाल होने है, मच्छर देव अपना प्रकोप फैलायेंगे !
सही है, चैन्नई ही क्यों, सभी बड़े शहरों की यही हालत है, भारी बारिश से जूझ नही पाते, नगर निगम तो ठीक बारिश के पहले याद आता है कि ये ये काम पैन्डिगं है। आपका टाइटिल तो अच्छा है "इन्द्र देवता अब बस भी करो" लेकिन इसका एक और प्रयोग देखो:
इन्द्र देवता, बस भी, अब करो
(ज्यादा जानकारी के लिए लिंक को क्लिक करिए।)
स्थानिय प्रशासन को कोसो और इंन्द्र देवता से प्रार्थना करो, जल्द राहत मिलेगी. :)
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