मंगलवार, अक्तूबर 31, 2006

इन्द्र देवता अब बस भी करो!

अब यह एक दस्तूर हो चका है कि हर वर्ष नवंबर के आसपास बारिश चेन्नई नगर के नागरिकों के लिए एक बड़ी चुनौती लेकर आएगी। तो इस बार भी तकरीबन हफ्ते बारिश जारी है और मेरे शहर के लोग मना रहें हैं कि कब सूर्य भगवान इन्द्र देवता को मात दे पाते हैं। ये वो शहर है जहाँ पानी की आमतौर पर किल्लत रहती है और हम सालो भर पीने का पानी खरीदते है, जरुरत पड़ने पर टैंकर से अन्य जरुरतों के लिए भी पानी खरीदा जाता है। आम चेन्नईवासी पानी को अमृत समान भाव देता है। पर, उफ, इतना बारिश, इतना पानी।क्या मानव , क्या पशु पक्षी। बड़े -बड़े वृक्ष एवं वृक्षों की शाखाएँ शहर भर में धराशाई हैं। आलम ये हैं पानी ने कई मुहल्लों को वेनिस में तब्दील कर दिया है, बस कुछ गोंडोला लाने की देर है।
जहाँ मेरा दफ्तर है, वहाँ से कुछ सो मीटर पर तीन व्यक्ति इस बारिश में अपने कार मे फँस कर गए और अपनी जान गँवा बैठे।शायद बारिश में उनकी कार के ए सी प्रणाली में कोई त्रुटि पैदा कर दिया और कार्बन मोनोक्साईड ने बन्द शीशों के बीच उन्हें नहीं बक्शा। यह दो दिन पहले हुआ।

जनता है परेशान, इन्द्र देवता अब बस भी करो!

शुक्रवार, अक्तूबर 27, 2006

गूगल की आधी पकी रोटी।

गूगल देवता यदा कदा नई सुविधाओं को भक्तों की सेवा में लाते रहते हैं। अभी हाल में ही गूगल डाक्स एण्ड स्प्रेडशीट्स नाम का एक नया आनलाईन साफ्टवेयर प्रस्तुत किया है जिसमे वर्ड प्रोसेसिंग और स्प्रेडशीट्स की सुविधा है। समझ ये नहीं आया की ये है किस काम का। ऐसे कौन लोग हैं जिनके पास कम्प्यूटर और अंतरजाल की सुविधा तो है, पर कोई वर्ड प्रोसेसर नहीं।दरअसल गूगल ने राइटली नाम की कम्पनी को कुछ महीनों पहले निगला था। फिर झाड़-पोछ कर गूगल डाक्स एण्ड स्प्रेडशीट्स नाम से लाँच किया है। यदि एक से अधिक लोग किसी दस्तावेज पर मिलकर काम करना चाहते हैं तो इसमे इसकी अच्छी सुविधा है। गूगल आपको एक गोपनीय ईमेल पता भी देता है, जहाँ किसी दस्तावेज को मेल करने पर ये दस्तावेज आपके खाते में स्वयं ही आ जाता है। काम कर लेने के बाद आप इसे वापस अपनी मशीन पर माईक्रोसाफट वर्ड, ओपेन आफिस और पीडीएफ फारमैट में डाल सकते हैं।
गूगल डाक्स एण्ड स्प्रेडशीट्स की एक सुविधा का दृश्य
कुल मिला कर काम-चलाऊ से कुछ ज्यादा प्रभावशाली नहीं। मैने इसमें एक हिन्दी दस्तावेज भेजकर पीडीएफ बनाने की कोशिश की पर निराशा हाथ लगी, पीडीएफ दस्तावेज बिलकुल कोरा निकला। यह तो थी गूगल डाक्स की बात। स्प्रेडशीट को तो शायद चौपट के अलावा और कोई सज्ञा देना उचित नहीं।कुल मिला के ये समझ नहीं आया कि गूगल देवता नें अपने किन भक्तों को ध्यान में रख के बनाया है। पर जमाना बीटा का है, यानि ब्लागर की तरह गूगल डाक्स एण्ड स्प्रेडशीट्स भी बीटा में ही है। शायद गूगल वाले माईक्रोसाफट से भिड़ने के चक्कर में आधी-पकी रोटी खाने की मेज पर ले ही आए।

बुधवार, अक्तूबर 11, 2006

कम्प्यूटर पर संदेश टंकित करें, नोकिया फोन से भेजें

भारतीय भाषाओं में एस एम एस भेजना एक दुष्कर कार्य प्रतीत होता है। पर कुछ सुविधाएँ हैं जिसका प्रयोग करके आप इसका भी मजा ले सकते हैं। यदि आप नोकिया का फोन प्रयोग करते हैं तो यह काफी हद तक संभव है।ज्यादातर फोन निर्माता फोन खरीदते समय एक सी डी देते हैं जिसमे आपके कम्प्यूटर के लिए एक साफ्टवेयर होता है। यह साफ्टवेयर आपके फोन पर संगीत, फोटो आदि भेजने के लिए प्रयुक्त किया जाता है। आमतौर पर, आप इस साफ्टवेयर की मदद से फोन और कम्प्यूटर पर आपके दोस्त-परिचितों के नम्बर भी सीधे स्थानांतरित कर सकेंगे। इसके लिए फोन और कम्प्यूटर एक तार के माध्यम से, अथवा ब्लू टूथ या इन्फ्रा रेड पोर्ट के द्वारा जोड़े जाते हैं। नोकिया भी एक ऐसा ही साफ्टवेयर सी डी पर देती है जिसे पी सी सूट कहते हैं। पर एक महत्वपूर्ण सुविधा के साथ- इस साफ्टवेयर के माध्यम से आप अपना एस एम एस संदेश पी सी पर ही टंकित कर सकते है।
साथ लगे चित्र को देखिए। मैने रमण भाई के युनिनागरी टंकन पटल पर अपने संदेश तैयार करके यहाँ चिपका दिया है। फिर यही से अपने दोस्त का नाम दिया, तो साफ्टवेयर ने उनका नम्बर मेरे फोन से स्वयं ही समझ लिया। फिर वहीं से प्रेषण का बटन दबा के संदेश को रवाना कर दिया। यह काफी आसान प्रक्रिया है।कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। नोकिया के ज्यादातर अच्छे फोन पी सी सूट समर्थित हैं। (मैं एक पिटा हुआ ६६१० प्रयोग करता हूँ)। पर अच्छा होगा यदि आप पी सी सूट का नया वर्जन नोकिया के अंतरस्थल (यहाँ) से लें। यह तकरीबन २५ एम बी का है। ये भी ध्यान रखें कि कभी-कभी अक्षर बिखर जाते है। यदि पाने वाले का फोन नोकिया नहीं है, तो सब कुछ कचरा हो जाता है। फिर भी, 'कुछ नहीं से बेहतर कुछ भी' वाली बात होती है। दूसरी बात, सदेंश शायद छोटे लगें, पर अंग्रेजी से ज्यादा बाइट्स लेते प्रतीत होते हैं। यह पी सी सूट बिना आज्ञा के ही इसे दो या अधिक टुकड़ो में बाँट देता है। यदि ऐसा हुआ, तो उतने एस एम एस के पैसे भी लगेंगे।कुल मिला कर मेरा अनुभव संतोषप्रद है, पर यह और अच्छा हो सकता है। खासकर जब कि पाने वाले के फोन के निर्माता (ब्राण्ड) की जानकारी का अभाव हो तो ऐसी अवस्था का क्या निवारण है। यदि आप के कुछ दुसरे अनुभव हैं, तो आप भी बाँटे।

मंगलवार, अक्तूबर 10, 2006

विज्ञापन की मुद्रा!

यदि माना जाए तो यह एक विज्ञापन की तसवीर है जो कि थ्री एम नाम कि विख्यात कम्पनी ने वैन्कुवर, कनाडा में लगाया है।कम्पनी ये दर्शाना चाहती है कि ये शीशा इतना मजबूत है कि इसे आसानी से तोड़ा नहीं जा सकता है। इसलिए इसके अन्दर असली रुपए रखें है, तोड़ सके तो तोड़। मान गए। आमतौर पर कोई कम्पनी अपने उत्पादों में अपने विश्वास को इतने आत्मविश्वास से नहीं दर्शा पाती।फिर भी, असली दाद तब दी जाए जब यह बिहार में भी दो दिनों तक सुरक्षित रह सके !

गुरुवार, अक्तूबर 05, 2006

हवाई जहाज की निर्माण प्रक्रिया का विडियो


पंछी समान उड़ते हुए जहाज किसे प्रभावित नहीं करते। बोईंग कम्पनी के एक अंतरस्थल पर एक ७३७ को बनते हुए दिखाया गया है। यदि आप मेरे समान उत्साहित हैं तो यहाँ जाएँ फिर वहाँ पर स्थित लिंक के द्वारा ७३७-९०० ई आर कि साईट पर जा कर और इस विडियो का आनन्द लें।तकरीबन दो मिनट की क्लिप है पर है वाकई मजेदार।

Photo Courtesy: www.aerospace-technology.com

बुधवार, अक्तूबर 04, 2006

डेंगु ने ७ रेस कोर्स रोड में सेंध मारी

प्रधानमंत्री की भारी भरकम सुरक्षा भी मामूली से मच्छरों के आगे हार गई। कुछ दिन पहले तक शायद सुरक्षाकर्मी अपने शागिर्दो को यह कहते थे कि ध्यान रहे, बिना इजाजत मक्खी भी अन्दर ना जाए। पर ये कमबख्त मच्छर है कि हर व्यवस्था को धता बताते हुए और बिना संगीनो से घबराते हुए प्रधानमंत्री श्री सिंह के एक नहीं दो नातियों (या पोतों?) को अपने डंको से अस्पताल की राह दिखा दिया। अब जब ७ रेस कोर्स रोड में सेंध मारी जा सकती है, तो चिकुनगुनियाँ या डेंगु नाम का ब्रंह्मासत्र लेकर घूम रहे मच्छरों से जनता जनार्दन भारी खौफ में है।

फिलहाल हम रोहन और माधव के शीघ्र स्वास्थलाभ की कामना करते है।

इज्जत का सवाल है - इन मच्छरों को नहीं छोड़ना गब्बऱ!

चलते चलते - खबर आई है कि प्रमुख विमान कम्पनियाँ दिल्ली से आने जाने वाले विमानों में बिज़नेस क्लास यात्रियों को व्यक्तिगत मच्छर निवारण यँत्र देने के विचार कर रहीँ हैं।