सोमवार, अप्रैल 02, 2007

गूगल एप्स - एक अच्छा सौदा

कई महीने से मैं इस विषय पर लिखने को सोच रहा हूँ, पर थोड़ा आलस, थोड़ा समय की अभाव! पिछले साल गूगल नें जीमेल और पेज क्रियेटर पर आधारित एक सेवा शुरु कि है जिसे गूगल एप्स कहा जाता है। इसमे गूगल आपकी सेवा में आपकी अपनी डोमेन पर जीमेल जैसी सेवा तथा वेबसाईट बनाने की सुविधा उपलब्ध कराता है। अभी हाल ही में मैने इसका प्रयोग करके अपने कालेज के दोस्तों के लिये इमेल सुविधा को चालु किया है जिसका लाभ ३०० से भी ज्यादा लोग उठा रहे हैं।
कार्यक्रम काफी सरल है। शुरुआत यहाँ से की जाती है। यहाँ आप गूगल को अपने संगठन के बारे मे बताते हैं फिर गूगल आपसे यह पूछता है कि क्या आपके पास आपकी पंजीकृत डोमेन है या नहीं। हाँ या ना के आधार पर यहाँ से रास्ते थोड़े अलग हो जाते है। यदि पंजीकृत डोमेन है तो गूगल आपको कुछ निर्देश जारी करता है जो आपके डोमेन रजिस्ट्रार के लिए होते है। इन निर्देशों का पालन होने मे तकरीबन दो दिन का समय लगता है। इनका पालन होने पर गूगल देव को ज्ञान हो जाता है कि आप वाकई उस डोमेन पर हक रखते हैं। फिर गूगल देव आपके लिए ये से दोनो सुविधाएँ, यानि इमेल और वेबसाईट कि सुविधा सक्रिय कर देते हैं।उसके बाद आप वेबसाईट को गूगल देव के द्वारा दिए औजारों कि मदद से काफी कम समय मे बना सकते है। कोई एच टी एम एल के ज्ञान की आवश्यकता नहीं पड़ती।
यदि आपके पास अपनी डोमेन नहीं है तो काम और भी आसान है। ना केवल गूगल देव आपको डोमेन खरीदने में मदद करते हैं, बल्कि आपके लिए पूरी सेटिंग भी कर डालते हैं, रजिस्ट्रार के पास जाके सेटिंग के निर्देश नहीं जारी करना होता है, वो गूगल देव संभाल लेते हैं। केवल आपको १० डालर डोमेन के देने होते है जो रजिस्ट्रार के एक साल का शुल्क होता है।
गूगल एप्स की सुविधा छोटे व्यापार के लिए बेहद आकर्षक है। पर यदि आप ये सोच रहें हैं कि क्यों ना अपने ब्लाग वाले डोमेन पर अपनी व्यक्तिगत ईमेल सेवा चलाना चाहते हों तो माफ कीजिए गूगल को ये मंजूर नहीं। मेरा हे विचार है कि भारत के संदर्भ में प्रस्ताव काफी लुभावना है। मामला काफी सरल है पर फिर भी यदि आपमे से कोई मित्र किसी विशेष सवाल का जवाब जानना चाहे या तकनीकि या आर्थिक पेंच समझना चाहे तो कृपया मुझे लिखें, मुझे आपकी मदद करके काफी खुशी मिलेगी।

सागर तट का ये सुहाना दृश्य

पिछले रविवार को जब हम सुबह सुबह चेन्नई के एलियट बीच पर गए, तो कुछ मछुवारे अपनी नावें लेकर काम पर निकल रहे थे। सुर्योदय के कुछ बाद का दृश्य था, अच्छा लगा, तो हमने अपने कैमरे को तान दिया और कुछ तसवीरें उतारी ।बाद में देखा तो चित्र अच्छे लगे तो सोचा क्यों ना आपके साथ बाँट लूँ।