रविवार, सितंबर 10, 2006

चिट्ठाकारों का असम्मेलन, दूसरा दिन

राजेश शेट्टी यदि कल के दिन को शानदार कहें, को आज का दिन( दूसरा और आखिरी दिन) भी कोई कम नहीं था। अब तक लोग एक दूसरे को भी काफी कुछ जान चुके थे। कल शाम की सागरतट पर हुई दावत भी कुछ शानदार ही रही होगी क्योंकि सवेरे का कार्यक्रम की शुरुआत थोड़ी ढीली ढाली ही थी। पर रफ्तार पकड़ते देर नहीं लगी। तकनीकी सत्र वीडियो ब्लागिंग को लेके आगे बढने लगा। अब तक लोग छोटे छोटे गुटों में चर्चा करते अलग अलग कोनों में दिखने लगे।लगा, एक नहीं सौ कार्यक्रम साथ साथ चल रहे हैं। राजेश शेटटी, जो कि अमरीका में रह रहे एक उद्धमी है, और जिन्होने लाईफ बियोंड कोड नाम कि किताब भी लिखी है, सुबह मे विश्व भर के लोगों कि लिए लिखने के बारे में अपने विचार प्रकट करते हुए दिखलाई पड़े। तकनीकी सत्र में, जो समानांतर चल रहा था, वहाँ लोग सर्च इंजिन औपटिमाईजेशन पर ७०-७५ लोग गोष्ठी मे तल्लीन थे, पर मैं यहाँ जरा देर से पहुँचा।
हक्सर भाई की वो तस्वीर, जिससे कोका कोला कम्पनी चिढ़ गई थी
शरद हक्सर नाम के पेशेवर फोटोग्राफर ने कुछ शानदार चित्र दिखाए, और ये भी बताया कि जब कोक ने उनके एक चित्र से चिढ़कर उन्हे बीस लाख का हर्जाना भरने का नोटिस भेजा, तो चिट्ठा जगत ने किस प्रकार उनकी मदद की थी।(पूरा झमेला यहाँ पढ़ें) । शरद हक्सर के अनुसार वे २२ मेगापिक्सेल वाला हैसेलब्लैड कैमरा प्रयोग करते है जिसमे एक चित्र १७० मेगा बाईट स्थान घेरता है।
सुनील गावस्कर बोलते हुए
ग्यारह के कुछ मिनट पहले सुनील गावस्कर याहू (भारत) के प्रबंध निदेशक जौर्ज जकारायस के पीछे की पंक्ति में साथ दिखाई पड़े। चारो बगल उत्साह चौगुना हो गया। सनी, जो की याहू के लिए क्रिकेट पर पौडप्रसारण करते है, बेहतरीन बोले। उन्होने, कई प्रश्नो का जवाब भी दिया और अपने आप को ट्रांजिस्टर पीढ़ी का बताते हुए आज के क्रिकेटरों को उपलब्ध तकनीकी सुविधाओं का बखान किया। पौडप्रसारण पर सनी ने अपने अनुभव बाटें। कृपा ने बड़ी मुश्किल से सवालों की झड़ी को रोकते हुए सनी की वार्ता को समाप्त कराया।ये दिल मागें मोर।
सनी के बगल मे मैं
(बहरहाल, लड़कियों का हुजूम सनी को घेरे, इससे पहले मैने उनका औटोग्राफ ले डाला।) कार्यक्रम अभी आधा दिन और चलना था, पर मुझे पहले से तय एक और कार्यक्रम मे भाग लेने के लिए निकलना पड़ा।
राबर्ट स्कोबल
उस समय राबर्ट स्कोबल स्काईप के सहारे स्क्रीन पर दिखलाई पड़ रहे थे, पर अभी उनका कार्यक्रम शुरु नहीं हुआ था। दूसरे अर्ध में कारपोरेट चिटठाकारी पर एक अच्छा सत्र था। मुझे मिस करना पड़ा, इसका मलाल रह गया। पर कुल मिला के बहुत रोचक दो दिन। बहुत कुछ सीखा, कुछ बाँटा। सबसे बड़ी सीख यह है, कि ब्लागजगत एक यात्रा के समान है, आप कौन सी सवारी से जाते है, किस दिशा मे जाते हैं, और किस मकसद से जाते है, यह अपने उपर निर्भर है। दूसरा, यहाँ गुरु तो कई हैं पर सर्वज्ञ कोई नहीं। तीसरा,यह चिट्ठाजगत मिल बाँट के खाने की दुनियाँ है, जितना बाटेंगे, उतनी बढ़ती होगी़!!!!
Test

6 टिप्‍पणियां:

अनूप शुक्ल ने कहा…

बहुत खूब.अच्छा लगा आपके सारे लेख पढ़कर.आपके अलावा और कोई भी आया था क्या वहां
जो हिंदी में भी ब्लागिंग करता हो?क्या हिंदी ब्लागिंग के बारे में कुछ बातें हुईं वहां?विवरण देने के लिये शुक्रिया.
hindini.com/fursatiya

amit ने कहा…

वाह जी वाह। इस बात का अफ़सोस है कि मैं नहीं जा पाया वहाँ।

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत बढिया विवरण रहा. जानकर अच्छा लगा. आशा थी हिन्दी ब्लागिंग पर भी कुछ चर्चा होती.शायद भविष्य मे कुछ स्थान मिले. हमे प्रयासरत रहना होगा.

-समीर लाल

Laxmi ने कहा…

बहुत सुन्दर। चित्र भी अच्छे हैं। मेरा भी वही प्रश्न है जो औरों का है: क्या हिन्दी ब्लोगिंग की भी कुछ चर्चा हुई?

रवि रतलामी ने कहा…

चलो, कुछ सुगबुगाहट तो हुई हिन्दी भाषा में भी ब्लॉगिंग हो सकती है ... और यह बात लोगों तक पहुँची.

Bunty Jabalpuria ने कहा…

Bada acha laga aap apka lekh padh kar, bahubade arse ke baad hindi main kuch padhkar.
per nadiyo ke nam me ganga ko nahi paya. desh ki yaad aa gayi, pata nahi kab ja paunga narmada ke tir..