मंगलवार, जुलाई 17, 2007

मेरी हिन्दी चिट्ठा यात्रा का एक वर्ष

गत वर्ष लगभग आज के ही दिन मैने उत्सुकतावश ढूंढने हिन्दी टंकन के तरीके ढूंढने की कोशिश की थी। हमे रमण कौल जी के युनिनागरी ने प्रभावित किया और मैने २१ जुलाई को डरते-डरते एक लाइन का पोस्ट लिखा। डर लगे भी तो ना क्यों - उन्नीस वर्ष बाद जो हिन्दी में लिखकर अभिव्यक्त करना आसान नहीं है।
खैर जैसे ही लिखा, कुछ उत्साहवर्धक टिप्पणियाँ भी नामालूम कहाँ से आ गई। फिर एक और पोस्ट लिखा, जो कुछ लाइनो का था। फिर नारद जी से मुलाकात हुई। बात अच्छी लगी और हमने डरते-डरते अपने चिट्ठे को शामिल करने का आवेदन डाला।
मैं ये सोचता था कि मेरे लिए हिन्दी मे लिखना काफी मुशकिल रहेगा क्योंकि मैं भारत के एक अहिन्दी भाषी प्रदेश में रहता हूँ, जहाँ हिन्दी के समाचारपत्र तो क्या, दुकानों के बोर्ड भी नहीं दिखाई पड़ते है। फिर आखें खुली और मालूम चला कि कई लोग तो अपने बेहतरीन हिन्दी चिट्ठे भारत के बाहर से लिख रहे हैं।
फिर वर्तनी कि चिंता सताने लगी कि साहब अगर गलत हिज्जे लिखे तो क्या सोचेगी जनता। फिर शब्दकोष से मुलाकात हुई तो तो काफी समस्याओं का निवारण हुआ।
तबतक हमें हिन्दी चिट्ठाजगत से परिचय हो चुका था। समझ में ये आया कि वैसे तो सभी त्रुटिहीन पोस्ट पढ़ना चाहते हैं पर यदि एक-आध त्रुटि रह भी जाए तो कोई परेशानी वाली बात नहीं है। और फिर हमे अंग्रेजी चिट्ठों पर भी व्याकरण और हिज्जे की धज्जियाँ उड़ती दिखाई देने लगे और हमने समझ लिया कि भई ठीक है।
जब हम चेन्नई ब्लागकैंप मे गए और वहाँ पर भारतीय भाषाऔं मे ब्लागिंग पर बातचीत हुई तो हमने अपने-आप को हिन्दी चिट्ठाकारी के बारे में, कुछ पल के लिए ही सही बोलता हुआ पाया। जी हाँ मैं वही हूँ जिसने दसवीं की परीक्षा के बाद हिन्दी पढने-लिखने से दूर रहने की ठानी थी !
आज हिन्दी में दनादन चिट्ठे लिखे जा रहे हैं। ज्यादातर सामयिक और सामाजिक विषयों पर लिखे जाते हैं।एक आध तकनीकि विषयों पर, कुछेक व्यापारिक विषयों पर भी उभर रहें हैं। कविताएँ भी पढने को मिल जाती है यानि स्थिति काफी मजेदार है।हिन्दी चिट्ठों के माध्यम से मैने देखी है एक बिलकुल अलग दुनियाँ। धन्यवाद बंधुओं। साफ है कि बात निकली है तो दूर तलक जाएगी।छोटे में आज इतना ही।

चिट्ठाजगत अधिकृत कड़ी
Test

8 टिप्‍पणियां:

Sanjeet Tripathi ने कहा…

शुभकामनाओं के साथ बधाई!!

बेनामी ने कहा…

शुभकामनाएं. बधाई.

समझीये की चिट्ठाकारी में लोग आते गए कारवाँ बनता गया, बस यूँ ही हिन्दी पैर पसारती रहेगी.

एक बार फिर, बधाई.

Manish Kumar ने कहा…

बधाई पर बड़े दिन बाद दिखे भाई। मेरी शुभकामनाएँ पहला साल पूरा करने के लिए ।

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनायें. अब नये साल में नियमित लेखन किया जाये.

Satyendra Prasad Srivastava ने कहा…

बहुत-बहुत बधाई

रवि रतलामी ने कहा…

आपको बहुत बहुत बधाई!

उन्मुक्त ने कहा…

बधाई। आप हमेशा बढ़िया लिखते रहें।

सुनीता शानू ने कहा…

बहुत-बहुत बधाई आपको...


सुनीता(शानू)