शुक्रवार, सितंबर 22, 2006

ज़ोहो : अच्छा लगा


मैने हाल में एक अच्छा साईट देखा जिसे ज़ोहो कहते है। मैने तुरंत उनका वर्ड प्रोसेसर देखा तो काफी प्रभावशाली लगा।अभी इसमे हिन्दी लिखने की सुविधा तो नहीं पर कुछ अन्य अच्छी सुविधाएँ हैं।



इनके पास आनलाईन स्प्रेडशीट है और ज़ोहो शो नाम का प्रेसेन्टेशन बनाने का भी अच्छा औजार है।

शुक्रवार, सितंबर 15, 2006

हिन्दी ब्लागरों के लिए सुनील गावस्कर

स्व-अर्थकारी चित्र :जी हाँ सुनील गावस्कर जी का औटोग्राफ, हिन्दी चिट्ठाकारों के नाम।

यह भी चिट्ठाकार असम्मेलन स्थल पर लिया गया।पृष्ठ के उपर में मेरी गंदी लिखावट में लिखा शीर्षक सुनील ने सरसरी निगाह से देखा और लिख डाला - बेस्ट विशेज्। Posted by Picasa

बुधवार, सितंबर 13, 2006

चिट्ठाकार असम्मेलन में हिन्दी

पहले दिन के शुरुआती सत्र मे श्रीमती गीता पद्मनाभन, स्वतंत्र पत्रकार, ने भाषाई चिट्ठीकारी पर प्रश्न पूछा था। मैने उसका संक्षिप्त परिचय हिन्दी के सन्दर्भ में, अपनी तीन महीने मात्र के हिन्दी चिट्ठाकारी के अनुभव के आधार पर, दिया। कई सारे प्रश्न भी आए जैसे हिन्दी कैसे लिखते हैं, मेरे क्या अनुभव है,क्या ब्लागर जैसे टूल वगैरह मददगार है, हिन्दी में कितने चिट्ठे है, हिन्दी चिटठो को कैसे ढूढते है, आदि। चूंकि यह शुरुआती सत्र था और उत्सुकता ज्यादा थी, सुझाव आया की क्यों ना इसपर एक अलग सत्र ही लिया जाए। पर पहला दिन काफी सारे सत्रों से ठसा-ठस था, उस दिन इसका आयोजन नहीं हो सका। इसी दौरान मेरे द्वारा पंकज नरुला और देबाशीष भाई दोनो को, हिन्दी सत्र हो सकने की स्थिति मे फोन पर शामिल होने का आग्रह भी किया गया और दोनो पूरे उत्साह से तैयार भी हो गए।

दूसरे दिन दूसरे अर्ध में चर्चा की संभावना अधिक थी पर मुझे कहीं जाना था..............और मुझे वहाँ और कोई हिन्दी जिटठाकार नहीं मिला जिसे ये काम करने की टोपी पहनाई जा सके, सो यह हो ना सका। पर विश्वास कीजिए कई लोगों ने मेरे दो मिनट के सुबह के बखान पर ही मुझे हिन्दी चिट्ठाकार के तौर पर पहचान लिया ( जैसे चाय पर किसी ने पूछा - "हाय, यू राईट इन हिन्दी?" इत्यादि)(हालाँकि किसी सुन्दर कन्या के मुँह से ये वचन निकले, ऐसा भी हो ना सका! )

मगर छोटे में कहूँ तो कई लोगो ने मूझसे आ के अलग से पूछा और मैने उनकी जिज्ञासा को देखते हुए बताया भी। मुझे जौर्ज जकारायस (याहू भारत के प्रमुख) से कुछ मिनट मिले और मैने उन्हे हिन्दी टंकित करके भी दिखाया। उन्होंने मेरे लैपटौप पर स्वयं भी प्रयास करके देखा और कुछ सवाल भी पूछे।हमने उनसे याहू पर हिन्दी समर्थन बढ़ाने का आग्रह भी किया।ब्लागस्ट्रीट के बोथरा ने भी फान्ट और ब्राउसर समर्थन की बात छेड़ी।

छोटे में इतना ही ..... मै ये तो नहीं कहता की मैं हिन्दी चिट्ठाकारी का डंका बजा के आया हूँ , पर हाँ, कहीं ना कहीं बात जरुर रख दी।

रविवार, सितंबर 10, 2006

चिट्ठाकारों का असम्मेलन, दूसरा दिन

राजेश शेट्टी यदि कल के दिन को शानदार कहें, को आज का दिन( दूसरा और आखिरी दिन) भी कोई कम नहीं था। अब तक लोग एक दूसरे को भी काफी कुछ जान चुके थे। कल शाम की सागरतट पर हुई दावत भी कुछ शानदार ही रही होगी क्योंकि सवेरे का कार्यक्रम की शुरुआत थोड़ी ढीली ढाली ही थी। पर रफ्तार पकड़ते देर नहीं लगी। तकनीकी सत्र वीडियो ब्लागिंग को लेके आगे बढने लगा। अब तक लोग छोटे छोटे गुटों में चर्चा करते अलग अलग कोनों में दिखने लगे।लगा, एक नहीं सौ कार्यक्रम साथ साथ चल रहे हैं। राजेश शेटटी, जो कि अमरीका में रह रहे एक उद्धमी है, और जिन्होने लाईफ बियोंड कोड नाम कि किताब भी लिखी है, सुबह मे विश्व भर के लोगों कि लिए लिखने के बारे में अपने विचार प्रकट करते हुए दिखलाई पड़े। तकनीकी सत्र में, जो समानांतर चल रहा था, वहाँ लोग सर्च इंजिन औपटिमाईजेशन पर ७०-७५ लोग गोष्ठी मे तल्लीन थे, पर मैं यहाँ जरा देर से पहुँचा।
हक्सर भाई की वो तस्वीर, जिससे कोका कोला कम्पनी चिढ़ गई थी
शरद हक्सर नाम के पेशेवर फोटोग्राफर ने कुछ शानदार चित्र दिखाए, और ये भी बताया कि जब कोक ने उनके एक चित्र से चिढ़कर उन्हे बीस लाख का हर्जाना भरने का नोटिस भेजा, तो चिट्ठा जगत ने किस प्रकार उनकी मदद की थी।(पूरा झमेला यहाँ पढ़ें) । शरद हक्सर के अनुसार वे २२ मेगापिक्सेल वाला हैसेलब्लैड कैमरा प्रयोग करते है जिसमे एक चित्र १७० मेगा बाईट स्थान घेरता है।
सुनील गावस्कर बोलते हुए
ग्यारह के कुछ मिनट पहले सुनील गावस्कर याहू (भारत) के प्रबंध निदेशक जौर्ज जकारायस के पीछे की पंक्ति में साथ दिखाई पड़े। चारो बगल उत्साह चौगुना हो गया। सनी, जो की याहू के लिए क्रिकेट पर पौडप्रसारण करते है, बेहतरीन बोले। उन्होने, कई प्रश्नो का जवाब भी दिया और अपने आप को ट्रांजिस्टर पीढ़ी का बताते हुए आज के क्रिकेटरों को उपलब्ध तकनीकी सुविधाओं का बखान किया। पौडप्रसारण पर सनी ने अपने अनुभव बाटें। कृपा ने बड़ी मुश्किल से सवालों की झड़ी को रोकते हुए सनी की वार्ता को समाप्त कराया।ये दिल मागें मोर।
सनी के बगल मे मैं
(बहरहाल, लड़कियों का हुजूम सनी को घेरे, इससे पहले मैने उनका औटोग्राफ ले डाला।) कार्यक्रम अभी आधा दिन और चलना था, पर मुझे पहले से तय एक और कार्यक्रम मे भाग लेने के लिए निकलना पड़ा।
राबर्ट स्कोबल
उस समय राबर्ट स्कोबल स्काईप के सहारे स्क्रीन पर दिखलाई पड़ रहे थे, पर अभी उनका कार्यक्रम शुरु नहीं हुआ था। दूसरे अर्ध में कारपोरेट चिटठाकारी पर एक अच्छा सत्र था। मुझे मिस करना पड़ा, इसका मलाल रह गया। पर कुल मिला के बहुत रोचक दो दिन। बहुत कुछ सीखा, कुछ बाँटा। सबसे बड़ी सीख यह है, कि ब्लागजगत एक यात्रा के समान है, आप कौन सी सवारी से जाते है, किस दिशा मे जाते हैं, और किस मकसद से जाते है, यह अपने उपर निर्भर है। दूसरा, यहाँ गुरु तो कई हैं पर सर्वज्ञ कोई नहीं। तीसरा,यह चिट्ठाजगत मिल बाँट के खाने की दुनियाँ है, जितना बाटेंगे, उतनी बढ़ती होगी़!!!!

चेन्नई चिट्ठाकार असम्मेलन, पहला दिन


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असम्मेलन से प्रेरित होकर मेरा पहला पौडप्रसारण

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अतुल चिटनीस सवेरे के सत्र में बोलते हुए।

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उत्साह भरे माहौल में होती चर्चाएँ।



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कृपा शंकर पौडप्रसारण के बारे मे बात करते हुए
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मोब्लागिंग ने भी ध्यान खींचा

TWO
पेशेवर चिट्ठीकारी पर अमित अग्रवाल बोलते हुए
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लोगों ने अमित अग्रवाल को बहुत ध्यान से सुना

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श्रीमती गीता पद्मनाभन ब्लागर तो नहीं मगर उनका अतुल्य जोश देखने लायक था।










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असम्मेलन से प्रेरित होकर मेरा पहला पौडप्रसारण

शनिवार, सितंबर 09, 2006

चिटठाकारों का असम्मेलन की चेन्नई मे धमाकेदार शुरुआत




जैसा कि मैने अपने पिछले पोस्ट में ईंगित किया है, चिटठाकारों का असम्मेलन की ज्ञाननगरी चेन्नई के मे ९ और १० सितम्बर को आयोजित हो रहा है। आज सवेरे इस असम्मेलन की शुरुआत हुई। १५० से अधिक चिटठाकार इसमें भारत एवं विदेश के अलग अलग शहरों से पूर जोश के साथ उपस्थित है। इस आयोजन का प्रसारण अंतरजाल पर हो रहा है। अधिक जानकारी के लिए www.blogcamp.in से प्राप्त की जा सकती है। कल यहाँ सुनील गावस्कर के आगमन का भी ईंतजार है। भारतीय भाषाओं में चिटठाकारी में उत्सुकता देखते हुए मैने प्रतिनिधियों को अक्षरग्राम से अवगत भी किया ।आयोजनस्थल से कुछ चित्र प्रेषित कर रहा हूँ। मैं समय मिलते ही फिर नया सवांद प्रेषित करुंगा। Posted by Picasa