मंगलवार, मई 22, 2007

राष्ट्रपति कलाम और मुशर्रफ के बीच एक काल्पनिक शिखर वार्ता

(राष्ट्रपति कलाम ने पाकिस्तान के राष्ट्रपति मुशर्रफ को वार्ता की दावत दे डाली। राष्ट्रपति मुशर्रफ भारत आने का मौका कैसे छोड़ते सो निमंत्रण सहज ही स्वीकार कर लिया गया। फिर श्री कलाम ने शर्त ये रखी कि बातचीत वीडियो कांफ्रेंस पर हो। अब फजीहत ये हो गई कि पाकिस्तान में वीडियो कांफ्रेंस की सुविधा तो कहीं है ही नहीं सो राष्ट्रपति मुशर्रफ जहाज पर बैठ वाशिंगटन को रुखसत हो लिये ताकि व्हाइट हाउस से वीडियो कांफ्रेंस कर सकें। तो पेश है ये बातचीत)
समय, भारतीय समयानुसार शाम के ६३० और वाशिंगटन में सुबह के ८ बजे।
कलामः सुप्रभात श्रीमान राष्ट्रपति महोदय
मुशर्रफः सुप्रभात कलाम साहब, कश्मीर...(कलाम नें बीच में ही काट दिया)

कलामः कश्मीर, बिलकुल। अभी थोड़ी देर पहले ही मै राष्ट्रपति भवन के बाग में था, जहाँ हाल ही में कश्मीर से लाए हुए कुछ पौधे लगाए गए हैं। जैसा की आप जानते हैं, प्राचीन भारतीय विधा आयुर्वेद में जड़ी बूटियों का महत्व बखुबी समझाया गया है।आप प्रण करें कि आप केवल जैविक तरीके से उगाए पदार्थों का सेवन करेंगे। आपके लिए मैं इस विषय पर एक कविता भी लाया हूँ। (फिर कलाम कप से कहवा की चुस्की लेते हैं और मुशर्फ मौका ताड़ कर फिर शुरु हो जाते हैं)

मुशर्रफः मेरे देश का बच्चा बच्चा चाहता है कि....

कलामः बच्चे, मैने अपने पाँच वर्ष के राष्ट्रपति काल में तकरीबन दो लाख बच्चों से संपर्क किया है। उन्हें विज्ञान और प्रौद्योगिकी का मह्त्व समझाया है और ये भी कि मेहनत से ही वे सफल हो सकते हैं। मेघालय की एक छात्रा नें मुझसे हाल ही में पूछा कि.......

मुशर्रफः बेहतर होगा कि.....

कलामः बेहतर तो टेलिमेडिसिन है। मेरे देश में २५० जिले, ४६७९ तालुके है, और ५२८३६४ गाँव।हमनें अपने गावों में टेलिमेडिसिन से सुसज्जित वैन भेजने की व्यवस्था की है जो कि सेटेलाइट के माध्यम से मरीजों को विशेषज्ञों कि सेवाएँ उपल्बध करातें हैं। इस प्रकार के विज्ञान का शानदार प्रयोग करते नागरिकों का भला हो सकता है।

मुशर्रफः एक छोटी सी गुजारिश है....

कलामः मैं छोटी चीजों कि बात करने ही वाला था। आने वाले समय में नैनोप्रौद्योगिकी का प्रयोग हर चीज में होगा। नैनोविज्ञान में अभी काफी काम होना है। मेरी सरकार ने ये देखते हुए देशभर में चार नैनोविज्ञान अनुसंधान संस्थान स्थापित किए है। नैनोविज्ञान ही क्यों, बायोटेकनोलोजी भी.......

मुशर्रफः मैं सामरिक.......

कलामः किसी व्यक्ति के सामरिक लक्ष्य को दृष्टि और काबिलियत से जोड़ने की जरुरत है। हाल ही में मैं आई आई एम गया था जहाँ का टापर एक ऐसा विद्यार्थी था जो बहुत छोटे से गाँव का था। जानते हैं वो क्यों टापर था?वो इस लिए टापर था क्योंकि उसने बचपन में ही लक्ष्य तय कर लिया था। फिर उसने गणित पर बड़ी मेहनत की। वही गणित जिसमें भारत में रामानुजम और आर्यभट्ट जैसे उस्ताद हुए।

(समय खत्म होने को आ रहा था । अब तक मुशर्रफ अपने तैयार किए गए डायलौग भी भूल चुके थे। बात उन्हें भी पते की लग रही थी। सोच रहे थे कि जब विज्ञान से ये सब संभव है तो ये सब किसी कमबख्त अधिकारीयों ने उन्हें क्यों नहीं बताया। गु्र्रा के उन्होंने अपने पीछे बैठे अधिकारी से पूछा - नोट्स ले रहे हो ना?

इस पर कलाम साहब नें ये बोलाः नोटस लेने कि बिलकुल जरुरत नहीं है। पंद्रह मिनट में इस बातचीत की प्रतिलिपि राष्ट्रपति भवन के वेबसाइट पर होगी। तीस मिनट बाद आपको एक एमपीईजी फाइल मेल कर दी जाएगी। या मेल आइ डी अगर आपके पास नहीं हो तो मेरे लड़के इसे यू ट्यूब पर डाल देंगे। अंतरजाल की सुविधा तो आपके पास होगी ना?
Test

4 टिप्‍पणियां:

Srijan Shilpi ने कहा…

बहुत खूब, राजेश जी। :)

विशाल सिंह ने कहा…

मजेदार व्यंग है.

Udan Tashtari ने कहा…

सही वार्ता.. :)

ePandit ने कहा…

खूब वार्ता करवाई, बेचारे मुशरर्फ कश्मीर की बात तो कर ही नहीं पाए।