सोमवार, नवंबर 27, 2006

चैपेल जी राम राम

नमस्ते चैपेल जी,

आपको भारतीय क्रिकेट टीम को बनाने के लिए रखा गया था, पर अब तो कोई टीम ही नहीं दिखती। हाँ, कुछ माडल जरुर हैं जो टेलीविज़न पर ज्यादा देर दिखाई पड़ते हैं, पिच पर कम। मेरा विचार से लगातार दसवीं पराजय हासिल करने के लिये बड़ी सख्त कोचिंग की होगी आपने, बहुत धन्यवाद।आप जैसा की देख रहे हैं, टीम मे थोड़ी परिवर्तन की आवश्यकता है।
मेरी क्रिकेट टीमः जान अब्राहम (क), बिपासा बसु(ऊ क), मिलिंद सोमन,शारुख खान, प्रीति ज़िटा, इमरान हाशमी, कंगना राउत, राखी सावंत ( विकेट कीपर), मल्लिका शेरावत , कैरोल ग्रेषियस, लालु यादव(ऊर्फ मगध एक्सप्रेस तेज गेंदबाजी के लिए बिशेष तौर पर)।विपक्षी टीम की कास्टयूम का जिम्मा बेनु सहगल को सौंपा जाय(ताकि उनकी लाज भी ना बचे)। अंपायरिंग का जिम्मा ममता बैनर्जी का रहेगा।
इसके कुछ फायदे होंगे। ममता जी के रहते टीम हारेगी नहीं। और अगर हार भी गई तो रेकार्ड खराब नहीं होगा, हम तो ऐसे भी हारते हैं।अपने पसंदीदा क्रिकेटरों को हम टी वी पर यूँ ही देखते रहेंगे। कम से कम अच्छे मनोरंजन की गारंटी रहेगी। अगर जीत गये तो बोनस(वो तो अभी भी है)। और लालुजी दौरे पर रहेंगे तो नितीशजी थोड़ा बहुत काम भी कर लेंगे। और हाँ, कोच की कुर्सी दलेर मेहदी को दी जायगी, कम से कम टीम में हजारो वाट का जोश तो भरेंगे।आपको भी पूरी फुर्सत रहेगी, बेफिक्र होके भंगडा कर सकेंगे।


कृपया विचार करें।

एक भारतीय क्रिकेट प्रेमी।

गुरुवार, नवंबर 23, 2006

गूगल - दुनियाँ की कुंजी?

प्रस्तुत है ये चित्र.........



शनिवार, नवंबर 18, 2006

सी और सी प्लस-प्लस का भयंकर लफड़ा।

हमारा एक मित्र परिवार हमारे घर पर आमंत्रित था। कानफिगुरेशन ये था - मित्र, उनकी पत्नी और छोटा बच्चा। अचानक बच्चे ने आके अपने पिता के कान में बुदबुदाया। फिर हमारे मित्र यानि बच्चे के पिता ने जोर से पूछा, "सी या सी प्लस प्लस?"। हम घबरा गये कि ये तीन साल का बच्चा इतना प्रतिभावान?! अपनी छह वर्ष की सुपुत्री पर गुस्सा आया कि केवल पी-सी गेम ही खेलती रहती है।फिर मित्र के बच्चे ने कानी उंगली दिखाई और उसके पिताजी उसे बाथरुम की तरफ ले गये। सी और सी
प्लस-प्लस का इतना भयंकर लफड़ा।

बुधवार, नवंबर 15, 2006

इन्टरनेट एक्सप्लोरर ७.० में एक से अधिक गृह पृष्ठ की सुविधा।

टैब्स का एक दृष्य और आप ये किस प्रकार से सेट कर सकते हैं जैसा की आप जानते हैं, माईक्रोसाफ्ट ने अपने इन्टरनेट एक्सप्लोरर ब्राउसर का नया संस्करण यानि इन्टरनेट एक्सप्लोरर ७.०(Internet Explorer 7.0) कुछ दिनों पहले जारी किया है। बहुत से लोगों के इसे अपनी मशीन पर संस्थापित भी किया होगा। फायरफाक्स (Firefox) अथवा ओपेरा(Opera) प्रयोग करने वाले मित्रो ने पाया होगा कि आखिरकार माईक्रोसाफ्ट ने भी टैब की सुविधा दी है, जो कि फायरफाक्स और ओपेरा में सालों से चली आ रही है (देर से सही, पर दुरुस्त आए)। देखने में ६ श्रंखला के इन्टरनेट एक्सप्लोरर ब्राउसर से थोड़ा हट के है। अभी तो इसे आप माईक्रोसाफ्ट के अंतरस्थल से अपनी मशीन पर संस्थापित कर सकते हैं पर शायद थोड़े दिन के बाद यह विंडोज़ अपडेट का हिस्सा बन जाए तो हो सकता है आपकी मशीन पर बिना दस्तक के ही किसी दिन दिखाई पड़े।

मैने इसमे दो सुविधाएँ देखी जो काफी लुभावनी है।

इसमे एक खाना दिया है जहाँ से आप सीधे अंतरजाल को खोज सकते हैं ( ये दूसरे ब्राउसरों मे पहले से है)।यानि पहले सर्च इंजन का पृष्ठ लाने की जरुरत नहीं है सीधे परिणाम देखें। सुविधा ये है कि आप अपनी पसंद के सर्च इंजन को इंगित कर सकते हैं। यानि अगर आप गूगल देवता के भक्त है, तो यहाँ से गूगलगिरी मजे मे होती है। यदि आप मेरी तरह ए एस के(ASK) को पसंद करते हैं या याहू(Yahoo) के कायल हैं तो आप अपने ब्राउसर को बता दें। यदि आप बाद में बदलना चाहें तो ये भी आसानी से हो जाता है। और हाँ, यदि आप चाहें तो इन्टरनेट एक्सप्लोरर ७.० विकीपीडिया भी खंगालेगा।

दूसरी सुविधा ये है कि आप इसमें एक से अधिक गृह पृष्ठ (होम पेज) बना सकते हैं। यानि यदि आप समय समय पर कुछ खास अंतरस्थल देखते हैं तो आपको ये सुविधा अच्छी लगेगी। ब्राउसर चालू करते ही ये सारे गृह पृष्ठ अलग अलग टैब मे खुल जाएंगे। यदि आप नेटगिरी करते समय कभी भी होम का बटन क्लिक करेंगे तो फिर आपके सारे गृह पृष्ठ (होम पेज) पुनः आ जाएंगे। सेट करना भी आसान है। जहाँ आप आपने होम पेज डालते हैं, वहाँ अलग-अलग पंक्ति मे अलग अलग यू आर एल डालें (रास्ता है, टूल्स -> इंटरनेट आप्शन्स -> जेनेरल)।

चलते चलते, कभी आप CTRL+Q भी करके देखें।

गुरुवार, नवंबर 09, 2006

मोटरसाईकल सन् १९८५ से खड़ी है

कहते हैं कि यह मोटरसाईकल सन् १९८५ से खड़ी है। प्रतीत होता है कि अब एक पेड़ के साथ इसका पूरे जन्म का रिश्ता हो गया है।


नोटः अगर आप पूछें कि कहाँ, तो ये मुझे भी नहीं मालूम। अगर आपको पतो हो तो मुझे भी बताएँ!

शुक्रवार, नवंबर 03, 2006

बी सी सी आई की कोई वेबसाईट नहीं?!

मेरे पड़ोस का नाई भी अपना जालस्थल चलाता है। पर अविश्वसनीय कितुं सत्य, जी हाँ, बी सी सी आई की कोई वेबसाईट हो, ऐसा गूगल देव को भी नहीं मालूम। जी हाँ मैं भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बार्ड की ही बात कर रहाँ हूँ। यानि, विश्व के सबसे धनी क्रिकेट बार्ड को शायद वेबसाईट या अंतरजाल का मतलब नहीं मालूम! ऐसा प्रतीत होता है की भारत का सबसे लोकप्रिय खेल को संचालित करने वाली संस्था को शायद लोगों से जानकारी बाँटने में कोई रुचि नहीं है। मुझे ये हास्यास्पद लगता है। आई सी सी का अपना जालस्थल है जहाँ कुछ जानकारी ही सही, मगर उपलब्ध जरुर है। मगर यदि आप रणजी का कार्यक्रम जानना चाहते हों तो माफ कीजियेगा, बी सी सी आई आपके लिए कोई आधिकारिक व्यवस्था नहीं कर सकती। वैसे क्रिकेट आस्ट्रेलिया का आधिकारिक जालस्थल भी मौजूद है, इंगलैण्ड एवं वेल्स क्रिकेट बोर्ड का जालस्थल भी है और न्यू ज़ीलैन्ड क्रिकेट का जालस्थल यहाँ है । पड़ोस में देखा जाए तो पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड का भी जालस्थल है।

तो क्या इसे बी सी सी आई की इस माध्यम की अनभिज्ञता कहें, या फिर कुछ और? बात ये लगती है की बी सी सी आई अंतरस्थल चलाए भी तो उसपे डाले क्या। अपने आपसी सिर फुटव्वल? या अपने आई सी सी के साथ की ताना तानी?शायद पूरी दुनियाँ ऐसी कोई अन्य मिसाल नहीं, आजकल तो आठवीं के बच्चे अंतरजाल से खेलते हैं। ।एक चिट्ठे पर भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बार्ड के आधिकारिक अंतरस्थल के उद्घाटन के बारे में लिखा भी है, पर यू आर एल नहीं।संभव है, किसी खेलप्रेमी को इस विषय पर कुछ पता हो, यदि ऐसा है, कृपया टिप्पणी जरूर छोड़ें।पर मान लिया जाए की बी सी सी आई का जालस्थल है भी, तो कहाँ लुका रखा की गूगल महाराज भी हार गए!!