मंगलवार, अगस्त 07, 2007

घागरो जो घूम्यो

कमाल हो गया दोस्तों। एक करोड़ से ज्यादा लोग बाढ से प्रभावित हैं पर हमारी मीडिया को कोई चिंता नहीं। सी एन एन और बी बी सी पर ताबड़ तोड़ रिपोर्टिंग जारी है, कहते हैं संयुक्त राष्ट्र ने भी इसे पिछले कुछ दशकों का सबसे ज्यादा भयंकर बाढ बताया है। पर अपना कोई देसी चैनेल को देखिए, चलते फिरते में इस खबर को निपटा देते हैं। हाँ नेतागण अपने उड़न खटोले पर घूम रहे हैं, मर्जी आती है तो मजबूती जाँचने के लिए सड़क पर ही उतार लेते है। भई साईट इंसपेकसनवा जो जरूरी रहल। का कहल जाइ, हालत खराब बा।घाघरो जो घूम्यो।

गंगा, सोन, गंडक, सब उफनते आ रहीं हैं। दिक्कत की बात ये है कि नेतागण का क्या कहें, बहते पानी में भी राजनीति जारी है।ऐसे समय में माननीय नीतिश जी का मौरिशस दौरा दो देशों के बीच भाईचारा बढाने के लिए जरुरी था।जब १०० करोड़ के देस की बात आती है तो एक आध करोड़ की तकलीफ कहाँ बीच मे ला रे हो भाई। बड़ा मुसकिल है भाई, पिस गया बिहारी, एक तरफ चारा, दूसरी तरफ भाईचारा। घाघरो जो घूम्यो।

दरभंगा शहर की हालत खराब है। समस्तीपुर के पुराना पुल के उपर से पानी बह रहा है। पटना के कंकडबाग मुहल्ले की हालत वहीं के लोग समझ सकते है। पर चिन्ता की कोनो बात नहीं। दो तीन हेलीकाप्टर खाने के लिए चने के पैकेट गिरा रहे हैं।एक करोड़ लोगों के लिए। घाघरो जो घूम्यो।

सोचिए उन लोगों का जो अपने रिश्तेदारों से कई दिनों तक चाहने के बावजूद भी फोन पर नहीं बात कर सकते है। फोन खराब है। कहते हैं जब नेपाल से पानी बहकर आता है तो कई जिलों मे तबाही मच जाती है। पर नेपाल तो मित्र देस है। कैसे हम उन्हे अपनी तकलीफ समझाएँ। उन्हे बुरा लग गया तो दोस्त नाराज हो जाएगा। घाघरो जो घूम्यो।

पिलानिंग? कौचि का पिलानिंग? बाँध बनाके का होगा? पानी पर स्टियरिंग व्हील तो नहीं है जो कहीं भी मोड़ दिया। और का इंद्र भगवान किसी के मौसा लगते हैं का? भगवान है, दू लोटा पानी जादा बरस गया तो काहे बिलबिला रहा है भाई? घाघरो जो घूम्यो।