tag:blogger.com,1999:blog-31459753.post115589687039526137..comments2023-03-26T19:04:14.401+05:30Comments on कुछ बून्दें, कुछ बिन्दु: उत्कृष्ट - ब्लू ओशन स्ट्रैटेजीRajesh Kumarhttp://www.blogger.com/profile/17653216008905158347noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-31459753.post-1155978055926920622006-08-19T14:30:00.000+05:302006-08-19T14:30:00.000+05:30मैं सागर भाई और उन्मुक्त, दोनो की बातों से यहां अस...मैं सागर भाई और उन्मुक्त, दोनो की बातों से यहां असहमत हूँ।<BR/><BR/>मैं इस पोस्ट को फायरफाक्स पर पढ पा रहा हूँ, यद्यपि बहुत अधिक जूम करने पर कुछ तेक्स्ट दूसरे टेक्स्ट के उपर चढ जा रहा है, किन्तु कम जूम पर यह समस्या नहीं है।<BR/><BR/>सागर भाई का यह कहना तो ठीक है कि कभी-कभी हिन्दी पुस्तकों की समीक्षा भी कर दिया करें, किन्तु मैं एक अच्छी पुस्तक समीक्षा को बहुत उपयोगी चीज मानता हू.ं।<BR/>आज के आपाधापी के युग में सब कुछ पढने का समय किसके पास है। ऐसे में एक सार्थक समीक्षा आपको पुस्तक में वर्णित मुख्य विचारों से अवगत करा देती है। इसके बाद आप इस पुस्तक को न पढने या पढने का निर्णय ले सकते हैं। दोनो ही दशाओं में आपको फायदा पहुँचता है।<BR/><BR/>अन्त में कहना चाहूँगा कि मुझे यह समीक्षा अच्छी लगी, किन्तु थोड़ा और विस्तार से लिखते तो अच्छा रहता। पुस्तक के कुछ छोटे और महत्वपूर्ण अंश भी उद्धृत करते तो और अच्छा रहता।अनुनाद सिंहhttps://www.blogger.com/profile/05634421007709892634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-31459753.post-1155977997745897302006-08-19T14:29:00.000+05:302006-08-19T14:29:00.000+05:30मैं सागर भाई और उन्मुक्त, दोनो की बातों से यहां अस...मैं सागर भाई और उन्मुक्त, दोनो की बातों से यहां असहमत हूँ।<BR/><BR/>मैं इस पोस्ट को फायरफाक्स पर पढ पा रहा हूँ, यद्यपि बहुत अधिक जूम करने पर कुछ तेक्स्ट दूसरे टेक्स्ट के उपर चढ जा रहा है, किन्तु कम जूम पर यह समस्या नहीं है।<BR/><BR/>सागर भाई का यह कहना तो ठीक है कि कभी-कभी हिन्दी पुस्तकों की समीक्षा भी कर दिया करें, किन्तु मैं एक अच्छी पुस्तक समीक्षा को बहुत उपयोगी चीज मानता हू.ं।<BR/>आज के आपाधापी के युग में सब कुछ पढने का समय किसके पास है। ऐसे में एक सार्थक समीक्षा आपको पुस्तक में वर्णित मुख्य विचारों से अवगत करा देती है। इसके बाद आप इस पुस्तक को न पढने या पढने का निर्णय ले सकते हैं। दोनो ही दशाओं में आपको फायदा पहुँचता है।<BR/><BR/>अन्त में कहना चाहूँगा कि मुझे यह समीक्षा अच्छी लगी, किन्तु थोड़ा और विस्तार से लिखते तो अच्छा रहता। पुस्तक के कुछ छोटे और महत्वपूर्ण अंश भी उद्धृत करते तो और अच्छा रहता।अनुनाद सिंहhttps://www.blogger.com/profile/05634421007709892634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-31459753.post-1155921146026356392006-08-18T22:42:00.000+05:302006-08-18T22:42:00.000+05:30यह पोस्ट firefox में नहीं पढ़ी जा पा रही है, फैल रह...यह पोस्ट firefox में नहीं पढ़ी जा पा रही है, फैल रही है। क्या justify की थी। मेरे विचार से left align करें।उन्मुक्तhttps://www.blogger.com/profile/13491328318886369401noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-31459753.post-1155920814921241302006-08-18T22:36:00.000+05:302006-08-18T22:36:00.000+05:30यह पोस्ट firefox में नहीं पढ़ी जा पा रही है, फैल रह...यह पोस्ट firefox में नहीं पढ़ी जा पा रही है, फैल रही है। क्या justify की थी। मेरे विचार से left align करें।शुभाhttps://www.blogger.com/profile/15090591980327578036noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-31459753.post-1155905657203065342006-08-18T18:24:00.000+05:302006-08-18T18:24:00.000+05:30इतना उत्कृष्ट विश्लेषण!!!!भैया कभी कभार किसी हिन्द...इतना उत्कृष्ट विश्लेषण!!!!<BR/>भैया कभी कभार किसी हिन्दी पुस्तक के बारे में भी लिख दिया करो,खासकर हम जैसों के लिये जिनके लिये अंग्रेजी काला अक्षर भैंस बराबर होता है।<BR/>थोड़ी अच्छी जानकारी हमें भी मिल जाया करेगी।Sagar Chand Naharhttps://www.blogger.com/profile/13049124481931256980noreply@blogger.com