सोमवार, दिसंबर 11, 2006

वाल-मार्ट भारत में, क्या बदलेगा? - १

वाल-मार्ट दुनिया की दुसरी सबसे बड़ी कम्पनी है। इसका सालाना कारोबार ३१५ अरब अमरीकी डालर का है अमरीका मात्र मे ही इसमे १३ लाख लोग काम करते हैं। ये कम्पनी १९६२ में अमरीका के बिल क्लिंटन वाले आरकेनसा राज्य के एक छोटे कस्बे में एक बेजोड़ व्यापारी सैम वालटन ने १९६२ में स्थापित की गई थी। आज ये १४ देशों में ६६०० के करीब स्टोर चलाती है।वाल-मार्ट की सबसे खास बात है, कि इसके स्टोर में किराने का सामान से लेकर इलेक्ट्रानिक्स तक के एवरिडे लो प्राइसेज्।
वैसे तो वाल-मार्ट भारत से बहुत कुछ खरीद कर अपने स्टोरों में बेचती है पर अभी तक भारतीय ग्राहकों के लिए एक भी स्टोर नहीं चलाती है। पर अभी हाल ही में भारती व्यापारसमूह ने वाल-मार्ट से एक करार किया है। सरकारी नियमों के तहत कोई भी विदेशी कम्पनी फुटकर (रिटेल) व्यापार में ५० फीसदी से ज्यादा नहीं लगा सकती। भारती के साथ वाल-मार्ट का ५०-५० का सौदा है। तो क्या ऐसी कम्पनी के आते ही भारत में मैं और आप साबुन-तेल अब वाल-मार्ट से खरीदेंगे? एक अनुमान के अनुसार, भारत मे प्रति १००० व्यक्ति ५.५ दुकानें हैं। यानि १०० करोड़ के लिये आप खुद अंदाजा लगाएँ। तो क्या वाल-मार्ट के आते ही, इन दुकानदारों को शटर खीँचने होंगे? हाँ कहने से पहले जरा रुकिये।
पिछले कुछ वर्षों में भारत की अर्थव्यव्स्था ८ फीसदी से भी ज्यादा तेजी से बढ़ रही है। अभी हाल मे सरकारी अनुमान तो ये दर ९ % से भी ज्यादा होने की बात कर रहे हैं। बचत दर कम हो रही है, यानि हम और आप काफी पैसे खर्च कर रहे हैं। दिवाली के दिन केवल नोकिया ने ४ लाख से ज्यादा फोन बेचे। यही है रिलायंस, भारती आदि के फुटकर ( रिटेल) धंधे मे कूदने की वजह।

तो क्या वाल-मार्ट के भारतीय मार्केट मे आते ही क्या सबकुछ बदल जाएगा? अगली प्रविष्टि मे...............
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1 टिप्पणी:

Srijan Shilpi ने कहा…

बदलाव तो इस बात पर निर्भर करेगा कि वालमार्ट भारतीय उपभोक्ताओं के किस वर्ग को अपना लक्ष्य बनाता है और अपने स्टोर में बिकने वाली वस्तुओं की कीमत परंपरागत दुकानों में खुदरा वस्तुओं की कीमतों से कितना अधिक रखता है। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण देखने लायक बात यह होगी कि वह भारत में कितने युवाओं को रोजगार दे पाएगा।