सोमवार, अगस्त 07, 2006

कार्लोस घोन की ' द शिफ्ट' - मेरी राय


श्री घोन, १९९९ में रेनो द्वारा निसान को भेजे गए थे, जिसमे रेनो की ४४% हिस्सेदारी है। उस समय निसान भारी घाटे में थी और अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही थी। जापान में दुसरी कम्पनियाँ आगे निकलती जा रही थीं। उस समय घोन रेनो के दुसरे नंबर के अधिकारी थे और अपनी धाक जमा चुके थे।
लेबनानी मूल के ब्राजीली परिवार मे जन्मे घोन ने फ्राँस मे शिक्षा पाई और वे एक मेधावी छात्र रहे हैं। यह किताब उन्होंने फेलिपे रीज् के साथ लिखी है। उनके नेतृत्व में निसान की हालत में ईतना परिवर्तन हुआ कि २००५ में घोन रेनो वापस बुला लिए गए, पर नंबर एक के ओहदे पे। आज वो निसान और रेनो दोनो के मुख्य कार्यकारी अधिकारी है, और व्यापारिक कायापलट में महत्वपूर्ण हस्तियों में गिने जाते हैं।
वैसे जेनेरल इलेक्ट्रिक के जैक वेच व्यापारिक कायापलट के बादशाह माने जाते रहे है और कुछ तुलना तो बिलकुल जरूरी है।यदि 'न्यूट्रौन जैक' (वेच) और 'ल कास्ट किलर' (घोन) की तुलना की जाए तो घोन काफी शिष्ट भलेमानस प्रतीत होते है पर ( कम से कम लिखने के अन्दाज् मे तो है ही) । पर दोनो के दोनो ही तर्कशक्ति में माहिर हैं।घोन की किताब पढ़के ये भी पूछ सकते हैं कि इसमें नया क्या है। सब कुछ एक पुराने नुस्खे का ही तो है - लागत घटाऐँ, बाजारांश बढाएँ, बाजार में नई किस्म की गाड़ियाँ लाएँ, फिर समस्या है कहाँ? पर धोखे में मत आईए, घोन हर छोटी-बड़ी चीज का वर्णन नहीं करते। किताब से ये भी स्पष्ट होता है, कि घोन का काम करने की शैली काफी पारदर्शी है, ताकि लोगों के लिए अटकलबाजी का मौका ना मिले। आप ये भी पाएँगे की घोन किसी सभ्यता में काफी आसानी से ढाल लेने की क्षमता रखते है। जापान और जापानी कम्पनियाँ पश्चिमी माहौल से बिलकुल अलग होती हैं फिर भी घोन ने यहाँ भी सफलता अर्जित की। शायद इसका कारण उनका बचपन से ही अलग-अलग सभ्यताऔं से जुडे रहना है।
पुस्तक में परिष्कृत भाषा की प्रयुक्ति है और लिखने की शैली काफी सरल।पुस्तक फ्रासिसी भाषा से अनुदित है इसलिए भाषायी स्पर्श कहीं कहीं पर थोडी बनावटी लगती है। पर यदि लेखक श्री घोन जैसा कद्दावर हो तो आप कोई चीज् को हलके से नही ले सकते। यदि आप व्यापार में रुचि रखते हों तो पढ़ डालिए।
Test

2 टिप्‍पणियां:

Nitin Bagla ने कहा…

"उनके नेतृत्व में निसान की हालत में ईतना परिवर्तन हुआ कि २००५ में घोन निसान वापस बुला लिए गए, पर नंबर एक के ओहदे पे। "...

शायद आप लिखना चाहते थे.."..२००५ में घोन रेनो वापस बुला लिये गये.."

देखते हैं कब हाथ लगती है ये पुस्तक :)

Rajesh Kumar ने कहा…

नितिन भाई, सुधार के लिए धन्यवाद।
राजेश